RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -18-Dec-2022

आंसू

मेरी रोती है रूह दिल को देख जख्मी
लेकिन रोके बैठी है आंखें हर आंसू को
जिसका बोझ उठाएं घूम रहा है दिल 
अब कौन समझे है मेरे दिल के एहसासों
को‌ जब बोझ तले दब कर आंसू बने पत्थर 
है तब कौन छूए है जिंदगी का मंजर रोज 
समझे है आंसू की रोशनी जाने‌ कौन समझें।
कैसे रोकूं अपने एहसासों की उम्मीद को
जब तेरे आंसू मेरी आंखों में सज रहे हैं।
      राखी सरोज 

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11 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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Punam verma

19-Dec-2022 09:42 AM

Very nice

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RAKHI Saroj

19-Dec-2022 06:04 PM

धन्यवाद

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Abhinav ji

19-Dec-2022 08:54 AM

Very nice👍👍

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RAKHI Saroj

19-Dec-2022 06:05 PM

धन्यवाद

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